मेरी अनुभूतियाँ - अवधेश सिंह
शब्द सृजन
दरअसल कविता/ शब्द दर शब्द अनुभूति का प्रवाह है/ जिसे मैं कागज पर लिखता हूँ बस/ अन्य प्रकाशित रचनाएँ : सब्र और संकल्प – अवधेश सिंह | कहानी
एक भावपूर्ण कहानी : ममत्व - अवधेश सिंह तडके सुबह वाइफ ने कहा की उसने स्टील अलमारी के नीचे तली में कबूतरों के प्रवेश को रोकने के लिए जो ईंटे लगाई थी वह हटा दीं हैं , कूड़े दान में फेंके गए घोसले को वह कूड़े दान से उठा लाई है , उसने कहा की अभी अँधेरा सा है मैं डिटाल से अपने हाथों को अच्छी तरह साफ करके ,अण्डों को अहिस्ता से घोसले के कुशन पर रख दूँ बिना किसी नुकसान के ताकि अंडे में रहने वाली छोटी सी जान को कुछ भी न हो।
नव गीत – बसंत है आज उदास
आँसू टपकाए / खेतों में फूली सरसों आना भूल गया उल्लास बसंत है आज उदास ………
| बेबाक बात
भाग-2 : सुविधा के लिए खेद बनाम सुविधा शुल्क भाग -3 :सुविधा के लिए खेद बनाम सुविधा शुल्क भाग - 4 : सरकारी कामकाज यानि जो जाता है होता है नाराज भाग - 5 : कंप्यूटरी करण से भृष्टाचार के नए सूत्र पात भाग - 6 :सरकारी वेबसाइट्स से भी भृष्टाचार के नए सूत्र पात
कहानीकार मनीष कुमार सिंह से बेबाक बात : ...हम जो कहना चाहते हैं इस पर निर्भर है। कहीं पर यह सब कुछ खत्म हो जाने के बाद भी कुछ बचा लेने की कोशिश को दर्शाना है तो कहीं यह घनघोर यथार्थ के मध्य आदर्श की न्यून ही सही मगर सार्थक उपस्थिति को प्रस्तुत करना है। कभी-कभी गलत प्रवृत्तियॉ अत्यंत शक्तिशाली होने के बाद भी हार जाती हैं। पिछले दिनों कई ताकतवर लोगों का जो हाल हुआ वह इसका एक उदाहरण है।...
" हिंदी पखवारा " बेचारा हिंदी अधिकारी - अवधेश सिंह
प्रेम कविताओं के संग्रह छूना बस मन से
-दिविक रमेश [प्रख्यात कवि -आलोचक , नई दिल्ली]
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